-: कुलगीत :-

परम सुहावन अतीव पावन महान् विद्या-भवन हमारा।
निधान विज्ञान-ज्ञान का जो उसे शताधिक नमन हमारा।।

सुकीर्ति ‘श्यामा प्रसाद’ की जो विभूति उत्तर-प्रदेश की है,
अमूल्य निधि है प्रयाग की जो वही अविद्या-हरण हमारा।
जिसे खिलाती स्व अंक में ले विष्णुपदी की पवित्र धारा,
प्रतीक शुचिता सुरम्यता का महान् शिक्षा सदन हमारा।।

सुपार्श्व जिसके ‘भरद्वाजाश्रम’ फाफामऊ का यह दिव्य उपवन,
प्रसिद्ध गुरुकुल परम्परा का नवीनतम यह सुदीर्घ धारा।
यहाँ ज्ञान-मर्मज्ञ मनीषी पधारते दूर-दूर से हैं,
सही प्रशिक्षण मनुष्यता का प्रदान करता भवन हमारा।।

निकेत जो है सरस्वती का वही सुजन मन-रमण हमारा,
छटा प्रकृति की यहाँ मनोरम परम शान्तिमय भवन हमारा।
प्रसार इसकी सुगन्ध का हम दिशा-दिशा में निकल करेंगे,
प्रसिद्ध होगा स्वदेश में यह ज्ञान-ज्योति का सदन हमारा।।

परम सुहावन अतीव पावन महान् विद्या भवन हमारा।
निधान विज्ञान-ज्ञान का जो उसे शताधिक नमन हमारा।।