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रक्षा एवं स्त्रोतैजिक अध्ययन विभाग के अपने स्थापनाकाल से ही विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठियों एवं विशिष्ट व्याख्यान के आयोजन के साथ-साथ विभाग के समस्त छात्र-छात्राओं के मध्य विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं शैक्षणिक परिभ्रमण के माध्यम से उनके चतुर्दिक उन्नयन का कार्य किया गया है, जिनमें शिक्षा जागरूकता एवं व्यक्तित्व विकास को बढ़ाने का कार्य शामिल है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा आयोजित दो राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठियों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त नई दिल्ली के सम्मानित सदस्यों ने भी प्रतिभाग किया। विभाग के डॉ. राघवेन्द्र प्रताप सिंह की पुस्तक "प्राचीन भारत में सैन्य चिंतन" प्रकाशित हुई एवं विभाग में सहायक आचार्यों द्वारा विभिन्न शोध पत्र-प्रत्रिकाओं में वाचन एवं प्रकाशन किया जा रहा है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय ने अपने स्थापना वर्ष 1997 से ही रक्षा एवं स्त्रोतैजिक अध्ययन विषय की आवश्यकता एवं राष्ट्र के प्रति इसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए एक विषय के रूप में इसका संचालन प्रारंभ किया। इसमें डॉ. गोविन्द दास एवं तत्कालीन प्राचार्य डॉ. राम शिरोमणि मिश्रा का अमूल्य योगदान रहा है। विभाग के अन्य आचार्यों के रूप में डॉ. प्रशांत महाड़ाने एवं भुवनेश कुमार जी ने विभाग के उत्थान के लिए अपना योगदान किया। विभाग के लिए वर्ष 2017 एवं 2019 महत्वपूर्ण वर्ष रहे जिसमें विभाग में क्रमशः तीन नए सहायक आचार्य डॉ. समीर सिंह, डॉ. राघवेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. दिलीप कुमार मौर्य की नियुक्ति हुई तथा विभागीय स्तर पर परास्नातक एवं शोध कार्य भी प्रारंभ हुआ।
रक्षा एवं स्त्रोतैजिक अध्ययन विभाग में स्नातक स्तर पर उच्च स्तर की प्रयोगशाला विभिन्न प्रकार के मानचित्र और सैन्य मॉडल से सुसज्जित है।
डॉ. दिलीप कुमार मौर्य
संयोजक
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